डूबते हुए सूर्य को अर्घ देकर महिलाओं ने कोसी भराई कार्यक्रम का किया शुभारंभ।
धनंजय कुमार पाण्डेय,आपकी आवाज़ न्यूज,कुशीनगर
✓ लोक आस्था के महापर्व छठ के तीसरे दिन शाम को सूर्य अर्घ्य में उमड़ा महिलाओं का हुजूम।
✓ आज व्रती महिलाओं ने डूबते सूर्य को अर्घ्य देकर अपने मनोकामना पूर्ण करने हेतु की पूजा अर्चना।
छठ पूजा का इतिहास!
ऐसा माना जाता है कि छठ पूजा की शुरुआत भगवान राम से हुई थी। ऐसा कहा जाता है कि जब भगवान राम अयोध्या लौटे तो उन्होंने और उनकी पत्नी सीता ने सूर्य देव के सम्मान में व्रत रखा और इसे डूबते सूरज के साथ ही तोड़ा। यह एक ऐसा अनुष्ठान है जो बाद में छठ पूजा में विकसित हुआ।
छठ किसकी पुत्री थीं?
धार्मिक मान्यताओं के अनुसार षष्ठी देवी को लोकभाषा में छठ माता कहा जाता है, जो ऋषि कश्यप तथा अदिति की मानस पुत्री हैं। इन्हें देवसेना के नाम से भी जाना जाता है।
छठ पूजा क्यों मनाई जाती है?
छठ पूजा एक अनूठा त्योहार है जो लोगों को प्रकृति से जोड़ता है और कृतज्ञता, पवित्रता और भक्ति के महत्व पर जोर देता है । जब परिवार सूर्य देव और छठी मैया का सम्मान करने के लिए इकट्ठा होते हैं, तो उन्हें शांति, एकता और नई आध्यात्मिक शक्ति मिलती है।
आज कुशीनगर जनपद के विभिन्न गांवों में लोक आस्था के महापर्व छठ पूजा पर डूबते सूर्य की उपासना हर्षोल्लास के साथ मनाया जा रहा है, इस पर्व में महिलाएं अपनी मनोवांछित मनोकामनाओं के पूर्ण होने की आस्था में यह व्रत बहुत ही धूम धाम से उठाती हैं! तथा लोक कल्याण की भी कामना करती हैं। समाज के सभी वर्गों के लोग मिल जुलकर इस त्यौहार को परम्परागत तरीके से बड़े ही धूम धाम से मनाते हैं।
छठ पर्व पर ज्यादातर ग्राम सभाओं में ग्राम प्रधानों के द्वारा छठ घाट की साफ सफाई और बिजली की समुचित व्यवस्था कराई गई है, इस क्रम में ग्राम प्रधान बेलवा उर्फ बैरिया पल्लवी पांडेय, ग्राम प्रधान औरही कृतपुरा महेश प्रसाद,
विशुनपुरा ग्राम प्रधान प्रतिनिधि सुनिल गुप्ता, ग्राम प्रधान बरवां कोटवा प्रतिनिधि रंजीत कन्नौजिया तथा भारतीय जनता पार्टी के ग्राम सभाओं के बूथ कार्यकर्ता आदि लोगों की उपस्थित रहे!
वहीं पूरे जनपद में छठ महापर्व को सुव्यवस्थित ढंग से पूर्ण कराने के लिए एवं शांति व्यवस्था सुदृढ़ बनाए रखने के लिए कुशीनगर पुलिस अधीक्षक संतोष कुमार मिश्रा के निर्देशन में छठ घाटों पर पुलिस बलों की गश्त लगातार जारी है।