अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी का अल्पसंख्यक दर्जा रहेगा बरकरार, या होगा खत्म? सुप्रीम कोर्ट का आज आएगा अहम फैसला।

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ब्यूरो रिपोर्ट, आपकी आवाज़ न्यूज, उत्तर प्रदेश

✓ मुख्य न्यायाधीश (सीजेआई) डी.वाई. चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली, पांच सदस्यीय संविधान पीठ तय करेगी कि, विश्वविद्यालय का अल्पसंख्यक संस्थान का दर्जा बना रहेगा या नहीं।

नई दिल्ली :- अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय (एएमयू) के अल्पसंख्यक दर्जा को लेकर सुप्रीम कोर्ट आज शुक्रवार को अपना फैसला सुनाएगा, भारत के मुख्य न्यायाधीश (CJI) डी.वाई.चंद्रचूड़ की अगुवाई वाली पांच सदस्यीय संविधान पीठ तय करेगी कि विश्वविद्यालय का अल्पसंख्यक संस्थान का दर्जा बना रहेगा या नहीं! इससे पहले सीजेआई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली संविधान पीठ ने इस मामले में फैसला सुरक्षित रख लिया था! इस पीठ में सीजेआई के अलावा न्यायमूर्ति संजीव खन्ना, सूर्यकांत, जे.बी.पारदीवाला, दीपांकर दत्ता, मनोज मिश्रा और एससी शर्मा शामिल हैं।

सुप्रीम कोर्ट की संविधान पीठ इलाहाबाद हाई कोर्ट के 2006 के एक फैसले के संबंध में सुनवाई कर रही थी, हाईकोर्ट के आदेश में कहा गया था कि, एएमयू अल्पसंख्यक संस्थान नहीं है! साल 2019 में सुप्रीम कोर्ट की तीन जजों की पीठ ने इस मामले को सात जजों की पीठ को सौंप दिया था।

सात जजों की संविधान पीठ ने अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय को भारतीय संविधान के अनुच्छेद 30 के तहत अल्पसंख्यक का दर्जा दिए जाने के संबंध में दायर की गई याचिकाओं पर सुनवाई की और बाद में फैसला सुरक्षित रख लिया था! कोर्ट ने इस मामले की आठ दिनों तक सुनवाई की थी!

साल 1968 के एस.अजीज बाशा बनाम भारत संघ के मामले में सुप्रीम कोर्ट ने एएमयू को केंद्रीय विश्वविद्यालय माना था, लेकिन साल 1981 में एएमयू अधिनियम 1920 में संशोधन लाकर संस्थान का अल्पसंख्यक दर्जा बहाल कर दिया गया था! बाद में इसे इलाहाबाद हाई कोर्ट में चुनौती दी गई और यह मामला सुप्रीम कोर्ट तक पहुंच गया।

इस फैसले का असर यह होगा कि अगर सुप्रीम कोर्ट मानता है कि अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी का अल्पसंख्यक दर्जा नहीं रहेगा तो इसमें भी एससी/एसटी और ओबीसी कोटा लागू होगा, साथ ही इसका असर, जामिया मिलिया इस्लामिया पर भी पड़ेगा।

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