आज विकास खंड विशुनपुरा के तीन गावों बलकुड़िया, हजारीपट्टी एवं तेजवलिया मे “विकसित कृषि संकल्प अभियान” के 14वें दिन वैज्ञानिक व कृषक संवाद गोष्ठी का हुआ आयोजन।

धनंजय कुमार पाण्डेय, ब्यूरो चीफ, उत्तर प्रदेश
कुशीनगर : आज 11 मई 2025 को विकास खंड विशुनपुरा के तीन गावों बलकुड़या, हजारीपट्टी और तेजवलिया मे विकसित क़ृषि संकल्प अभियान के 14 वें दिन वैज्ञानिक व कृषक संवाद गोष्ठी का आयोजन किया गया।
बतादें कि, इस अभियान का उद्देश्य सन 2047 तक समूचे भारत देश को क़ृषि के क्षेत्र मे विकसित बनाने का लक्ष्य है! भारतीय क़ृषि पूर्णतः किसानो पर निर्भर है, अतः इस कार्यक्रम के द्वारा किसानो को फसल उत्पादन के लिए कम लागत वाली विभिन्न तकनिकों के बारे मे अवगत कराया गया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता सम्बंधित गावों के ग्राम प्रधान ने किया, बलकुडिया बाज़ार मे आयोजित कृषक वैज्ञानिक संवाद गोष्ठी मे विशुनपुरा विकास खंड के ब्लाक प्रमुख माननीय विंध्यवासिनी श्रीवास्तव मुख्य अतिथि के रूप मे उपस्थित रहे एवं विशिष्ठ अतिथि के रूप मे भारतीय जनता पार्टी के मंडल महामंत्री नित्यानंद पाण्डेय भी उपस्थित रहे।

क़ृषि विज्ञान केंद्र, सरगटिया, सेवरही, कुशीनगर के विशेषज्ञ डॉ. अरुण प्रताप सिंह ने बैठक में मौजूद किसानों को “विकसित क़ृषि अभियान कार्यक्रम” की महत्ता, उद्देश्य और लाभ के बारे मे बताया! कम लागत तकनीकी जैसे धान मे ड्रम सीडर तकनीकी का खरीफ की फसलों मे समावेशन के बारे मे भी बताया। फसलों मे रडायनों के हानि और प्राकृतिक खेती एवं गैर रासायनिक खेती की महत्ता के बारे मे बताया। देसी गाय प्रजातियों जैसे गिर, साहीवाल, गंगातीरी, हरयाणा के गोबर, मूत्र और दूध के विशेषताओं के बारे मे बताया। प्राकृतिक खेती मे उत्पादों जैसे जीवामृत, वीजामृत, धंजीवमृत, नीमास्त्र, ब्रह्मास्त्र आदि के बारे मे बताते हुए लोगों को वैज्ञानिक तारीख से खेती करने के बारे में बताया गया।
वहीं डॉ. गंगाराज आर ने खरीफ फसलों मे जैविक कीट एवं रोग नियंत्रण के बारे मे बताया, डॉ.वाई पी भारती वैज्ञानिक अधिकारी “बाबू गेंदा सिंह गन्ना अनुसन्धान” एवं प्रजनन संस्थान, सेवरही ने गन्ने की उन्नत क़ृषि पद्धतियां सह-फसली खेती, रोगों व कीटो की पहचान और उनकी रोकथाम के बारे मे विस्तृत चर्चा की। तथा तकनीकी अधिकारी मोतीलाल कुशवाहा ने बीजोपचार के फायदे और तरीको के बारे मे बताया! जैविक कीट नियंत्रण उपकरणों जैसे फेरोमन ट्रैप, लाइट ट्रैप और स्टिकी ट्रैप के प्रयोग विधि के बारे मे बताया।
वहीं कार्यक में मौजूद मौसम विशेषज्ञ श्रुति वी सिंह ने मौसम पूर्वनुमान का महत्व और मौसम आधारित खेती के बारे मे बताया। मुख्य अतिथि के रूप में मौजूद विंध्यवासिनी श्रीवास्तव ने उपस्थित कृषको से कार्यक्रम में बताये गए तकनीको को अंगीकार करने की अपील की, साथ ही देसी गौ पालन एवं प्राकृतिक खेती कर किसानो से विकसित होने की अपील की! जिससे कि हमारा भारत वर्ष 2047 तक विकसित राष्ट्र बन सके।
इस कार्यक्रम मे ए डी ओ एजी प्रहलाद, टी ए सी संदीप गुप्ता, ए टी एम सुमित चौधरी एवं अन्य सदस्यगण भी सैकड़ो की संख्या में किसानों की भी उपस्थिति रही।