आज है वट सावित्री व्रत, जानें शुभ मुहूर्त और पूजन का सही समय।

0
image_editor_output_image-107449872-1749520127536.jpg
Spread the love

डेस्क, आपकी आवाज़ न्यूज

✓ ज्येष्ठ माह की पूर्णिमा के दिन वट सावित्री का रखा जाता है व्रत।

✓ व्रत की तिथि को लेकर बना हुआ है कंफ्यूजन, जानते हैं कब रखा जाएगा अखंड सैभाग्य का वरदान पाने वाला यह व्रत।

हिंदू धर्म में पूर्णिमा और अमावस्या तिथियों बहुत महत्वपूर्ण होती है! इन तिथियों पर कई व्रत और त्योहार आते हैं! ज्येष्ठ माह की पूर्णिमा को वट सावित्री पूर्णिमा का व्रत रखा जाता है! मान्यता है कि इस व्रत को रखने से महिलाओं को अखंड सौभाग्य का वरदान मिलता है! महाराष्ट्र, गुजरात और दक्षिण भारत के राज्यों में ज्येष्ठ माह की पूर्णिमा को वट सावित्री का व्रत रखा जाता है! जबकि उत्तर भारत में यह व्रत ज्येष्ठ अमावस्या के दिन रखने की परंपरा है! इस बार ज्येष्ठ पूर्णिमा तिथि 10 और 11 जून दोनों दिन लगने के कारण वट सावित्री व्रत को लेकर असमंजस की स्थिति है, आइए जानते हैं कब है वट सावित्री का व्रत और इस व्रत की पूजा विधि।

✓ कब है ज्येष्ठ पूर्णिमा व्रत और वट सावित्री व्रत?

इस बार ज्येष्ठ माह की पूर्णिमा तिथि की 10 जून को सुबह 11 बजकर 35 मिनट पर शुरू होगी और 11 जून को दोपहर 1 बजकर 13 मिनट पर समाप्त होगी! धार्मिक विद्वानों के अनुसार ज्येष्ठ माह की पूर्णिमा तिथि 10 जून को रहेगी और इसी दिन वट सावित्री का व्रत रखना उचित होगा।

✓ कैसे करते हैं वट सावित्री पूर्णिमा पूजा?

वट पूर्णिमा के दिन महिलाएं अखंड सौभाग्य के लिए वट वृक्ष की पूजा करती हैं! इसके लिए बांस की दो टोकरियां ली जाती हैं. एक में सात प्रकार के अनाज को कपड़े के दो टुकड़ों से ढक कर रखा जाता है. दूसरी टोकरी में मां सावित्री की प्रतिमा रखकर धूप, दीप, अक्षत, कुमकुम, मौली से उनकी पूजा की जाती है. महिलाएं आसपास के किसी वट वृक्ष के नीचे जमा होकर वट वृक्ष की पूजा करती है! इसके लिए महिलाऐं वट वृक्ष को रोली, कुमकुम, हल्दी लगाने के साथ ही कच्चा सूत लपेटकर परिक्रमा करती हैं! वट वृक्ष की 7, 11 या फिर 21 बार परिक्रमा करनी चाहिए! इसके बाद वट वृक्ष के नीचे दिए जलाती हैं! पूजा के बाद महिलाएं सावित्री और सत्यवान की कथा सुनती हैं! मान्यता है कि विधि पूर्वक वट सावित्री का व्रत रखने से सावित्री की तरह सभी महिलाओं को अखंड सौभाग्य की प्राप्ति होती है।

✓ वट सावित्री की कथा!

पौराणिक कथा के अनुसार, राजा अश्वपति और उनकी पत्नी मालवी की पुत्री का विवाह एक साधारण युवक सत्यवान के साथ हुआ था! सावित्री को पता था सत्यवान की उम्र ज्यादा नहीं है, इसलिए वह हमेशा अपने पति की रक्षा के लिए प्रार्थना करती रहती थी! एक दिन सत्यवान जंगल में लकड़ी काटते समय गिर पड़े और उनकी मृत्यु हो गई, यमराज सत्यवान के प्राण लेने आए तो  सावित्री ने यमराज का पीछा किया और उनसे अपने पति के प्राण वापस करने की प्रार्थना की।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

You may have missed