बहुजनियों की आर्थिक स्थिति आज भी कमजोर।

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आपकी आवाज़ न्यूज, गोरखपुर, उत्तर प्रदेश

✓ बहुजन जातियों (SC /ST & OBC) की आर्थिक स्थिति आज भी बहुत ही कमजोर है।

✓ बहुजनियों की आर्थिक स्थिति कमजोर होने के पीछे क्या है मुख्य कारण।

मैं जानता हूं कि – बहुजन जातियों (SC /ST & OBC) की आर्थिक स्थिति बहुत ही कमजोर है। आजदी के बाद कुछ हद तक सुधार हुआ है, लेकिन सन्तोष जनक नहीं है। इन वर्गों के लिए संविधान में निहित की गई राजनैतिक हिस्सेदारी तो मिली है । लेकिन समता व समानता के लिए सामाजिक
एवं आर्थिक हिस्सेदारी नहीं मिल सकी । जिसके चलते
सामाजिक न्याय भी एक कल्पना बनकर ही रह गया और अब तो सरकार का नजरिया ही बदल गया है देश में फिर से अमीरी और गरीबी का फासला बढ़ गया है । अमीर ,अमीर और गरीब गरीब होता जा रहा है। और सरकार उन्हें पांच किलो राशन देकर अपनी जिम्मेदारी से पल्ला झाड़ रही है और इसके बदले अहसान जता कर राजनैतिक फायदा उठा रही है । सरकारी आंकड़ों के अनुसार दस बर्ष पूर्व गरीबी रेखा से नीचे जीवन यापन करने वालों का आंकड़ा बढ़कर 40 करोड़ से 80 करोड़ पर पहुंच गया है ।

लोकतंत्र में सरकार की प्राथमिकता शिक्षा , स्वास्थ्य और रोजगार के अवसर उपलब्ध कराना होता है लेकिन लेकिन सरकार ने अपनी जिम्मेदारियों से पल्ला झाड़ते हुए निजीकरण कर दिया है । और अब यह सुविधाएं आम आदमी की पहुंच से दूर हो गईं हैं ।

विगत् दस वर्षों से देश में अनियंत्रित मंहगाई और बेरोज़गारी बढ़ी हैं । लेकिन सरकारी टैक्स (जी एस टी ) की वसूली बढ़ी है । सरकार की नीतियों से बड़े उद्योग पतियों को बढ़ावा मिला रहा है। लेकिन छोटे – मोटे उद्योग धन्धे चौपट होते जा रहे हैं । किसान, मजदूर , एवं नौकरी पेशा लोगों के हालात खराब हैं ।

सरकार स्वयं संविधान में निहित धर्म निरपेक्षता एवं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता को अनदेखा कर हिन्दू – मुस्लिम की राजनीति करना देश में हिन्दूराष्ट्र का माहौल बनाना धर्म एवं धार्मिक कर्मकांडों को प्रोत्साहित करना । एवं देश की संवैधानिक संस्थाओं व संस्थानों पर सरकार ने पूरी तरह नियंत्रण कर लिया है । और उन्हें संवैधानिक तरीके से चलाने के बजाय मनमाने तरीके से चलाकर संविधान को लगातार अनदेखा कर उल्लंघन किया जा रहा है ।

धार्मिक जुलूसों , यात्राओं शोभा यात्राओं , कलश यात्रा मेलों , कुम्भों आदि में शांति व्यवस्था बनाये रखने का उत्तर दायित्व सरकार का होता है । लेकिन अब तो हिन्दू धर्म स्थलों के निर्माण उनके जीर्णोद्धार का काम धार्मिक संस्थाओं के बजाय सरकारें ही करने लगीं हैं और पर जनता के टैक्स का करोड़ों रुपया खर्च किया जा रहा है । विगत वर्षों में राम मंदिर , केदारनाथ थाम काशी विश्वनाथ , एवं महा कालेश्वर मन्दिर उज्जैन पर सरकार ने करोड़ों रुपया खर्च किया है । इसके अलावा सरकार ने कइयों सरकारी संस्थानों को औने – पौने में अपने चहेते उद्योग पतियों को बेच दिया है।

चुनाव में निर्वाचन आयोग सीबीआई, ई डी , एवं पुलिस प्रशासन का दुरुपयोग करना अब आम बात हो गई है
सरकार की नीतियां एवं कार्यप्रणाली संवैधानिक कम और असंवैधानिक ज्यादा है इसलिए लोकतंत्र/संविधान के खतरे में होने की सम्भावना होना स्वाभाविक है।

चूंकि संविधान आम जनता के लिए बना है । इसलिए उसकी हिफाजत करना हम सबका उत्तरदायित्व बनता है।

नितीश कुमार गुप्ता
प्रदेश अध्यक्ष
उत्तर प्रदेश राजीव गांधी विचार मंच

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