कुशीनगर जनपद के पिपरा बाजार में “शारदीय नवरात्रि” मेले का आयोजन।

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धनंजय कुमार पाण्डेय,आपकी आवाज़ न्यूज,कुशीनगर

✓ जनपद के प्रत्येक मुख्य चौक चौराहों पर सजी माता की दरबार।

✓ मां के दरबार में खोइंछा भराई के उपरांत आज जगह जगह मेले का आयोजन।

✓ मेले में तरह तरह के खाद्य पदार्थों के साथ खिलौने की सजी दुकानें।

✓ महंगाई की मार के चलते मेले में लोगों का आगमन हुआ कम।

✓ शारदीय नवरात्रि का उद्देश्य।

हर साल आश्विन माह के शुक्ल पक्ष की प्रतिपदा तिथि से नवरात्र की शुरुआत होती है। इस उत्सव को शारदीय नवरात्र के नाम से जाना जाता है। प्रतिपदा तिथि से लेकर नवमी तिथि तक मां दुर्गा के नौ स्वरूपों की पूजा करने का विधान है। साथ ही जीवन में सभी तरह के सुखों की प्राप्ति के लिए व्रत भी किया जाता है। नवरात्रि से वातावरण के तमस का अंत होता है और सात्विकता की शुरुआत होती है. मन में उल्लास, उमंग और उत्साह की वृद्धि होती है. दुनिया में सारी शक्ति, नारी या स्त्री स्वरूप के पास ही है. इसलिए इसमें देवी की उपासना ही की जाती है।                

✓ नवरात्रि का मुख्य उद्देश्य।

नवरात्रि साधना का मुख्य उद्देश्य हमारे अंदर की पशुता को बिंदुरूप कर विराट देवत्व की प्रतिस्थापना है। भारतीय गृहस्थ जीवन शक्तिपूजन, व्यक्तित्व संवर्धन एवं आध्यात्मिक चेतना जाग्रत करने का एक विराट संकल्प है। मां दुर्गा की पूजन से हमारे समाज में स्त्रियों को माता, देवी एवं पूज्य का स्थान प्राप्त होता है।

✓ नवरात्रि का महत्व क्यों है।

एक कथा के अनुसार, माता भगवती देवी दुर्गा ने महिषासुर नामक असुर के साथ नौ दिन तक युद्ध किया उसके बाद नवमी की रात्रि को उसका वध किया. उस समय से देवी माता को ‘महिषासुरमर्दिनी’ के नाम से जाना जाता है. तभी से मां दुर्गा की शक्ति को समर्पित नवरात्रि का व्रत करते हुए इनके 9 स्वरूपों की पूजा की जाती है।

✓ नवरात्रि की विशेषता क्या है?

दुर्गा पूजा और नवरात्र मानसिक-शारीरिक और आध्यात्मिक शक्ति का प्रतीक हैं। चैत्र की नवरात्रि के साथ रामजन्म एवं रामराज्य की स्थापना का इतिहास है। इस कारण इस नवरात्र का महत्त्व सर्वाधिक है। ज्योतिषशास्त्र में चैत्र नवरात्रि का भी विशेष महत्व है क्योंकि चैत्र नवरात्र के बाद सूर्य का राशि परिवर्तन होता है।

✓ नवरात्रि की कहानी क्या है?

एक पौराणिक कथा के अनुसार नवरात्रि में मां दुर्गा ने महिषासुर नामक राक्षस का वध करके देवताओं को उसके कष्टों से मुक्त किया था। महिषासुर ने भगवान शिव की आराधना करके अद्वितीय शक्तियां प्राप्त कर ली थीं और तीनों देव अर्थात ब्रह्मा, विष्णु व महेश भी उसे हराने में असमर्थ थे। महिषासुर राक्षस के आंतक से सभी देवता भयभीत थे।

✓ क्या है नवरात्रि का वैज्ञानिक महत्व?

नवरात्र मनाने का वैज्ञानिक महत्व भी है। वर्ष के दोनों प्रमुख नवरात्र प्रायः ऋतु संधिकाल में या दो ऋतुओं के सम्मिलिन में मनाए जाते हैं। जब ऋतुओं का सम्मिलन होता है तो आमतौर पर शरीर में वात, पित्त, कफ का समायोजन घट बढ़ जाता है। इससे रोग प्रतिरोध क्षमता कम हो जाती है।

✓ नवरात्रि के नियम क्या हैं?

व्रती नवरात्र के दौरान जल्दी उठें और पवित्र स्नान करें। नौ दिनों के व्रत के दौरान भक्तों को शराब, तंबाकू और मांसाहारी भोजन के सेवन से बचना चाहिए। नवरात्र के व्रत के दौरान नाखून काटने, बाल कटवाने या दाढ़ी काटने से बचना चाहिए। व्रती कुट्टू, सिंघाड़े का आटा, दूध, साबूदाना, आलू और फलों का सेवन कर सकते हैं।

✓ नवरात्रि के 9 दिनों का क्या महत्व है?

नवरात्रि के नौ दिनों में से 7 दिन तो चक्रों को जागृत करने की साधना की जाती है। 8वें दिन शक्ति को पूजा जाता है। नौंवा दिन शक्ति की सिद्धि का होता है। शक्ति की सिद्धि यानि हमारे भीतर शक्ति जागृत होती है।

✓ नवरात्रि कैसे मनाई जाती है?

नवरात्रि का नव दिन देवी आदिशक्ति जगत जननी जगदंबा मां दुर्गा को समर्पित है। इन नव दिनों में मां दुर्गा की पूजा आराधना की जाती है। लोग घरों में कलश या घट स्थापना करते हैं, साथ ही ज्वार भी बोया जाता है। संपूर्ण भाव और श्रद्धा के साध लोग नव दिनों तक व्रत रखते हैं और विधि विधान से देवी मां की पूजा करते हैं।

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