पडरौना नगर के जंगल बनबीरपुर गांव में गाय के गोबर से बनी गोवर्धन की आकृति को कुटती माताएं एवं बहनें।

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धनंजय कुमार पाण्डेय,आपकी आवाज़ न्यूज,कुशीनगर

✓ कुशीनगर जनपद में श्रद्धाभाव से मनाया गया भैयादूज का त्यौहार।

✓ ग्रामीण क्षेत्रों में गाय के गोबर से गोवर्धन की आकृति बना कर, कूटती दिखीं माताएं और बहनें।

✓ कई दशकों से चलता आ रहा है गोवर्धन कुटाई की परंपरा।

✓ ग्रामीण क्षेत्रों में युवतियों और महिलाओं ने विधि विधान से पूजन कर भाइयों के लंबी उम्र की कामना की।

पडरौना,कुशीनगर :- कुशीनगर जनपद के पडरौना नगर और ग्रामीण क्षेत्रों में गोवर्धन पूजा पारंपरिक रीति रिवाजों व श्रद्धाभाव से मनाई गई! शहर के विभिन्न मोहल्लों और मंदिर परिसर में पूरी आस्था के साथ गाय का गोबर एकत्रित कर गोवर्धन की आकृति बनाई गई , तत्पश्चात गोवर्धन आकृति का विधि विधान से पूजा भी की गई। वहीं ग्रामीण क्षेत्रों में महिलाओं और युवतियों ने समूह बनाकर एक दूसरे के घर जाकर गोवर्धन पूजा की, उसके बाद भगवान गोवर्धन को भोग लगाया। इसके उपरांत युवतियों और महिलाओं ने विधि विधान से पूजन कर भाइयों की लंबी उम्र की कामना की,
शहर में गोवर्धन पर्व को लेकर शनिवार की सुबह से ही तैयारियां जोरों शोरों से शुरू हो गईं। शहर के बुढ़िया माई मंदिर, दुर्गा मंदिर, जगदीपुरम कॉलोनी स्थित हनुमान मंदिर समेत अन्य मंदिर परिसर और विभिन्न मोहल्लों में गाय के गोबर से गोवर्धन की आकृति बनाई गई। महिलाओं ने व्रत रखकर विधि-विधान से गोवर्धन की पूजा-अर्चना की। कुछ स्थानों पर महिलाओं ने पूजा-अर्चना कर गंवई भाषा में गीत भी गाया। महिलाओं ने अपने परिवार की खुशहाली की मनौतियां मांगी। पडरौना शहर से सटे जंगल बनबीरपुर गांव स्थित सिधुआ बाजार में गोवर्धन पूजा का आयोजन हुआ। छप्पनभोग लगाकर गोवर्धन की परिक्रमा की गई। यहां पहुंचे श्रद्धालुओं ने भजन कीर्तन भी किया, अंत में आरती कर प्रसाद वितरण के साथ कार्यक्रम संपन्न हुआ। उजारनाथ प्रतिनिधि के अनुसार क्षेत्र के सभी गांवों में भैयादूज एवं गोवर्धन पूजा धूमधाम से मनाई गई। युवतियों ने गाय के गोबर से गोवर्धन की आकृति बनाकर पूजा-अर्चना की तथा अपने भाइयों की लंबी उम्र की कामना की। वहीं हिन्दू समाज  के लोगों में मान्यता है कि गोवर्धन पूजा के बाद शादी-विवाह,गृह प्रवेश, उपनयन संस्कार व अन्य शुभ मुहूर्त प्रारंभ हो जाते हैं। युवतियां नए परिधानों में सजधज कर फल, मिठाई व पूजा सामग्री के साथ गाय के गोबर से गोवर्धन भगवान की प्रतिकात्मक प्रतिमा के पास पहुंचती हैं। यहां गोवर्धन की विधिविधान से पूजा कर भाई की लंबी उम्र की कामना करती हैं।

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