कुशीनगर/महिला मेठो ने सौंपा ज्ञापन। सरकार से कहा “महिला सशक्तिकरण के नाम पर हो रहा मजाक, नहीं मिलता काम, मासिक मजदूरी हो तय।
धनंजय कुमार पाण्डेय, आपकी आवाज़ न्यूज, कुशीनगर
✓ ग्रामीण योजना कार्मिक संघ की सदस्यों ने जिलाधिकारी कुशीनगर को सौंपा ज्ञापन।
✓ श्रमिकों की समस्याओं से संबंधित 11 सूत्रीय मांगपत्र ज्ञापन के जरिए दिया गया।
कुशीनगर :- जनपद में “उत्तर प्रदेश ग्रामीण योजना कार्मिक” संघ की सदस्यों के द्वारा जिलाधिकारी कुशीनगर को एक ज्ञापन सौंपा गया, जिसमे उन्होंने मनरेगा योजना के अन्तर्ग जिले के विभिन्न ग्राम पंचायतो में चयनित ‘महिला मेठ’ एवं पंजीकृत मनरेगा श्रमिकों की समस्याओं को लेकर 11 सूत्रीय मांगपत्र थी। मांगपत्र में, उन्हें कार्यों से वंचित करने के लिए, निचले स्तर पर लिए जा रहे जिम्मेदारो का कार्य, व दैनिक मजदूरी का मासिक मानदेय से संबंधित मांग किया गया है।
जिला कलेक्ट्रेट कार्यालय कुशीनगर पर सोमवार को 50 से अधिक की संख्या में महिला मेंठ पहुंचीं। उन्होनें सरकार का ध्यान अपनी ओर आकर्षित करने के लिए एक ज्ञापन मुख्यमंत्री को सम्बोधित करते हुए डीएम कार्यालय पर मौजूद उपजिलाधिकारी को दिया। कप्तानगंज ब्लाक अध्यक्ष महिला मेठ कामिनी सिंह ने कहा कि सरकार ने हम महिलाओं को रोजगार के नाम पर घर से निकाल दिया। हम महिला मेठ को ग्रामीण इलाके में मनरेगा मजदूरों के साथ रोजगार तो मिला, लेकिन उसमें 20 मजदूरों की संख्या को बाध्य कर दिया गया। जिसके कारण प्रधान व सचिव सभी मस्टरोल सेटो में 19 मजदूरों को लगाते हैं जिससे हमें काम नही मिलता। मैं दो साल में सिर्फ 2500 रुपये की वेतन पाई हूं। अब ऐसे में महिला शसक्तीकरण के नाम पर मिले इस तरह के काम, हम लोगों के लिए मजाक बन कर रह गया है।
महिला मेठ की जिलाध्यक्षा किरन राय ने बताया कि सरकार ने हम गृहिणियों को, पहले NRLM समूह से जोड़ा, फिर महिलाओं को सशक्त करने के नाम पर हमे महिला मेठ बनाया गया। लेकिन बाध्यता और निचले स्तर पर जिम्मेदारों की कूटनीति के कारण हम सबके साथ मजाक किया जा रहा है। हमें काम ही नही मिलता इसलिए सरकार नियमो में बदलाव करे, ताकि कोई भी मनरेगा मजदूर लगे तो हमे उनके साथ रोजगार मिल सके। सभी सेट में 20 से कम मजदूर लगा हम लोगो को मिलने वाले 370 रुपये की दैनिक मजदूरी से वंचित रखा जाता है। इससे बचाने के लिए हम महिला मेंठों की मासिक मजदूरी तय की जाए।