कुशीनगर/ “सौ काशी एक बांसी” कार्तिक पूर्णिमा स्नान पर श्रद्धालुओं ने बांसी घाट पर लगाई आस्था की डुबकी।
धनंजय कुमार पाण्डेय, आपकी आवाज़ न्यूज, कुशीनगर
✓ कार्तिक पूर्णिमा के अवसर पर श्रद्धालुओं ने लगाई आस्था की डुबकी।
✓ दूर दराज से आए लोगों ने स्नान के बाद मेले का लिया आनन्द।
✓ मेले में आए बच्चों ने खरीदे तरह तरह के खिलौने, तो वहीं विवाहिता स्त्रियों ने सुहाग से जुड़े वस्तुओं की की खरीदारी।
✓ मेले में जलेबी और खान पान से संबंधित लगे स्टालों पर देखा गया भारी भरकम भीड़।
कहते है सौ बार काशी, एक बार बांसी! यहां स्नान करने से सारे पाप धूल जाते हैं हर साल कार्तिक पूर्णिमा को लगनेवाले वाले बांसी धाम मेले में आज लोगो ने आस्था की डुबकी लगाई है बिहार सीमा से सेट दोनों राज्यों के अधिकारी-कर्मचारी घाटों समेत पर मौजूद रहे वही कुशीनगर जिला प्रशासन के तरफ से श्रद्धालुओं के लिए हर तरह की व्यवस्था भी किया गया और घाटों को सजाया गया है जहां आज श्रद्धालुओ ने आस्था की डुबकी लगाई है ।
✓ बांसी स्नान के बारे में क्या बताते हैं पं.भरत दीपक मिश्रा
पं.भरत दीपक मिश्रा बताते है कि सौ बार काशी नदी में स्नान कर लीजिए, लेकिन एक बार बांसी नदी में स्नान करने के बाद सारे पाप धूल जाते हैं. इस नदी की यह मान्यता है. भगवान श्रीराम और माता सीता ने बांसी नदी में स्नान किया था. देश विदेश, बिहार व उत्तरप्रदेश के लोगों की यहां लाखों की भीड़ उमड़ती है भीड़. धनहा थाना क्षेत्र के बिहार-यूपी की सीमा की लाइफलाइन बांसी नदी पर लगने वाला प्रसिद्ध ऐतिहासिक बांसी नहान मेले की तैयारी में जनपद के अधिकारी जोर-शोर से लगे रहे कार्तिक पूर्णिमा के दिन बिहार-यूपी व नेपाल से पहुंचने वाले लाखों श्रद्धालु बांसी नदी में आस्था की डुबकी लगाते है इस वर्ष बांसी धाम नहान मेला भव्य लग रहा है मेला इस वर्ष बांसी के बिहार व यूपी सीमा के व्यवसायियों में काफी उत्साह देखा जा रहा है ।
✓ भगवान श्रीराम ने बांसी नदी में किया था स्नान।
लोक धारणा है कि भगवान श्रीराम सीता माता से ब्याह रचाने के बाद इसी रास्ते अयोध्या के लिए निकले थे. बिहार-यूपी की सीमा बांसी में रात्रि विश्राम किए थे. उनके साथ विभिन्न राज्यों के राजा-महाराजा भी बांसी के बिहार व यूपी के सीमा के गांवों में रात्रि विश्राम किए थे सुबह में कार्तिक पूर्णिमा के दिन भगवान श्रीराम ने सीता माता के साथ बांसी नदी में स्नान किया था उन्होंने स्नान के बाद कहा था कि इस नदी में कार्तिक पूर्णिमा के दिन जो भक्त मन से आस्था की डुबकी लगाएगा उसकी मांग पूरी होगी उसी समय से बांसी धाम को रामधाम भी कहा जाने लगा और लाखों की संख्या में श्रद्धालु अन्य राज्यों व दूसरे देश से भी लोग स्नान के लिए आते है ।