कुशीनगर/मेडिकल कॉलेज में स्ट्रेचर को तरसे मरीज, तीमारदार मरीज को चादर से ढोने को हैं मजबूर।

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धनंजय कुमार पाण्डेय आपकी आवाज़ न्यूज कुशीनगर

✓ दुर्व्यवस्थाओं के बीच शुरू हुआ कुशीनगर मेडिकल कॉलेज।

✓ स्ट्रेचर पर हो रहा है मरीजों का इलाज, इमरजेंसी वार्ड में खाली पड़ा बेड।

✓ परिजन मरीज को चादर में ले जाने को हैं मजबूर।

✓ पड़ोसी राज्य बिहार के पश्चिमी चंपारण, बगहा, बेतिया, गोपालगंज, सिवान तक के आते हैं मरीज।

पड़रौना/कुशीनगर :- जिले के रविन्द्रनगर धूस स्थित जिला चिकित्सालय का उच्चीकरण करने के बाद स्वशासी राजकीय मेडिकल कॉलेज में अप्रैल 2023 में विलय कर दिया गया। इसके बाद यहां मरीजों की संख्या में लगातार इजाफा होने लगा। लेकिन, करीब डेढ़ साल का समय बीत जाने के बाद भी मेडिकल कॉलेज में इलाज के लिए आने वाले मरीजों को असुविधाओं से रोज दो चार होना पड़ता है। हालांकि पड़ोसी प्रांत बिहार का सीमावर्ती जिला होने की वजह से यहां कुशीनगर के अतिरिक्त पश्चिमी चंपारण, बगहा, बेतिया, गोपालगंज, रक्सौल, सिवान तक के मरीज बेहतर इलाज की आस में यहां आते हैं।

मौसम की करवट लेते ही मेडिकल कॉलेज में मरीजों की संख्या में इजाफा हो गया है। यहां पर बृहस्पतिवार को करीब एक हजार मरीजों ने इलाज के लिए अपना पंजीकरण कराया था। इसमें सबसे अधिक मरीज डायरिया, सांस, फेफड़े और हड्डी से संबंधित रोग के मिले। मेडिकल कॉलेज की ओपीडी में दोपहर 12:30 बजे तक जनरल फिजिशियन के यहां 130 मरीज जबकि रेस्पिरेट्री विभाग में 110 मरीज, नेत्र रोग विभाग में 85 मरीज और हड्डी रोग विभाग में 170 मरीजों का इलाज किया गया।

इमरजेंसी में बेड खाली और स्ट्रेचर पर इलाज, मरीजों को वार्ड में ले जाने के लिए चादर बना सहारा

मेडिकल कॉलेज के इमरजेंसी वार्ड में बेड खाली मिले जबकि मरीजों का इलाज इमरजेंसी विभाग के बाहर स्ट्रेचर पर होता रहा, इस वजह से यहां आने वाले मरीज और उनके तीमारदार एक वार्ड से दूसरे वार्ड में जाने के लिए हलकान रहे। हालात यह रहे कि मरीज को उनके परिजन इमरजेंसी विभाग से वार्ड में ले जाने के लिए अपने घर लाए चादर में ही टांग कर ले जाते दिखे। पूछने पर मरीज के परिजन मटियरवा गांव से आए मुन्ना शर्मा ने बताया कि इमरजेंसी विभाग में मौजूद स्टाफ से कई बार स्ट्रेचर कियांग की गई लेकिन स्ट्रेचर नहीं मिलने पर घर से लाए गए चादर में ही उठाकर मरीज को वार्ड में ले गए।

✓  22 बेड पर भर्ती 70 मरीजों की जिम्मेदारी।

मेडिकल कॉलेज के एसएनसीयू में एच आई ई, निमोनिया, सेप्टिक और झटके से पीड़ित नवजात शिशुओं की संख्या में भारी इजाफा देखने को मिला है। यहां नवजात शिशुओं के इलाज के लिए 25 बेड का एसएनसीयू वार्ड बनाया गया है। जिसमें से तीन बेड लंबे समय से खराब पड़े हुए हैं। केवल 22 बेड पर ही नवजात शिशुओं का भर्ती और इलाज किया जा सकता है। ऐसे में बृहस्पतिवार को वार्ड में लगभग 70 नवजात शिशुओं का इलाज किया जा रहा था। एक ही बेड पर दो से तीन नवजात का इलाज चल रहा था। इससे संक्रमण का भी खतरा बना रहता है। हालाकि एसएनसीयू विभाग में कार्यरत सभी कर्मचारी अपने पूरे मनोयोग से बच्चों की देख रख में लगे हुए थे।

✓ डॉ आर के शाही, प्राचार्य मेडिकल कॉलेज कुशीनगर

इमरजेंसी में बेड खाली होने के बाद भी स्ट्रेचर पर इलाज करने और स्ट्रेचर नहीं उपलब्ध कराने के कारण परिजनों द्वारा मरीज को चादर के माध्यम से वार्ड में ले जाने के मामले में जांच कर दोषी के विरुद्ध कठोर कार्रवाई की जाएगी। मेडिकल कॉलेज में सुविधाओं की लगातार वृद्धि की जा रही है। स्ट्रेचर और व्हीलचेयर की संख्या वृद्धि के लिए भी आदेश निर्गत किया गया है। इस माह के अंत तक इसके उपलब्ध होने की संभावना है।

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