कुशीनगर/जिला प्रशासन से नहीं मिला सहयोग, तो आत्मदाह के लिए होंगे मजबूर, संतोष गुप्ता

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धनंजय कुमार पाण्डेय, ब्यूरो चीफ, उत्तर प्रदेश

✓ कुशीनगर में योगी सरकार के “जीरो टॉलरेंस नीति” को पलीता लगा रहे राजस्व कर्मी।

✓ पैतृक सम्पत्ति पर चाचा ने जमाया कब्जा, न्याय के लिए गुहार लगा रहे भतीजे।

✓ न्याय न मिलने के कारण पिता जी का देहांत हो गया, अब हम दोनों भाई हिस्से के लिए दर दर भटकने को मजबूर हो गए हैं।

✓ अगर न्याय नहीं मिला तो हम सपरिवार आत्मदाह के लिए मजबूर होंगे, जिसकी पूरी जिम्मेदारी कुशीनगर जिला प्रशासन की होगी।

जिला प्रशासन से न्याय की गुहार लगा रहे पीड़ित!

कुशीनगर :- जनपद के पडरौना तहसील क्षेत्र अंतर्गत गांव बढ़या छापर पड़री पिपरपाती निवासी संतोष गुप्ता और उनका परिवार अपने नाम से मौजूद पडरौना नगर के छुछिया गेट और परसौनी कला में मौजूद पुस्तैनी ज़मीन पर हक और हिस्से के लिए दर दर भटक रहे हैं।

आपको बताते चलें कि, इस मामले में संतोष गुप्ता का कहना है कि, न्याय न मिलने से आघात के कारण उनके पिता जी का देहांत हो गया और अब हम दोनों भाई अपने हक हिस्से के लिए विगत कई वर्षों से दर दर भटकने को मजबूर हो गए हैं।

सबसे बड़ी बात यह है कि कागज़ी बंटवारे में हर जगह कागज में नाम दर्ज होने के बावजूद भी संतोष गुप्ता के चाचा जगदीश गुप्ता द्वारा इनका हक नहीं दिया जा रहा है।

संतोष गुप्ता का कहना है कि परसौनी कला में मौजूद जमीन को मेरे चाचा जगदीश गुप्ता द्वारा फर्जी तरीके से अल्ट्राटेक सीमेंट से एकल एग्रीमेंट करके किराए पर दे दिया गया है जिसमें हम लोग भी बराबर के हकदार हैं।

वही पीड़ित संतोष के भाई रितेश का कहना है कि दो दिन पूर्व छुछीया गेट पर मौजूद मकान का मुआयना करने राजस्व टीम आई थी जिसमें राजस्व टीम ने मेरा पक्ष सुनने समझने के बजाय हम लोगों को ही दोषी ठहरा कर फटकार लगाए। इतना ही नहीं, नायब तहसीलदार पडरौना ने मुझे धमकाते हुए 15 दिनों के अंदर जेल भेजने की धमकी भी दे रहे थे! अब ऐसे में हमें न्याय न मिलने के कारण मैं और मेरा पूरा परिवार आहत हैं।

पीड़ित परिवार का कहना है कि सरकार जिस तरह अपने संपति को वापस लेकर न्याय को मजबूत कर रही हैं, वैसे ही वर्षों से न्याय के लिए दर दर भटक रहे हम पीड़ितों को न्याय देकर हमारे हक और अधिकार सुरक्षित करे ताकि हम वर्षों से व्यवस्था पर अविश्वास की धारणा से उबर सकें और न्याय व्यवस्था पर भरोसा कर सकें।

पीड़ित परिवार का कहना था कि अगर हमें न्याय नहीं मिला तो हमारे पूरे परिवार की जीवन लीला खत्म होने की जिम्मेदारी जिला प्रशासन और न्याय व्यवस्था में हो रही देरी का होगा।

पीड़ित परिवार ने थाने में तहरीर देकर अपने नाम से दर्ज हक और हिस्से को प्रशासन के सहयोग से काबिज़ होने की मांग किए हैं।

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