ग्राम पंचायत में विकास कार्यों को लेकर लगा अनियमितता का आरोप।

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संवाददाता, धनंजय कुमार पाण्डेय, कुशीनगर

✓ बिना काम कराए ही धन अवमुक्त कराने का ग्रामीणों ने लगाया आरोप।

सूबे की योगी सरकार एक तरफ जहां जीरो टॉलरेंस की बात कर रही है, वहीं सरकारी कलम की ताकत और सूझ बूझ से ग्राम पंचायत के विकास कार्यों को सुचारू रूप से कराने के लिए आए हुए धन का जम कर बंदर बांट किया जा रहा है।

ग्रामीण

कुशीनगर :- बताते चलें कि, उत्तर प्रदेश सरकार जहां एक तरफ गांवों के विकास हेतु नित्य प्रति नई नई योजनाएं बना रही है, जिससे कि गांवों को शहर की तरह चमकाया जा सके, तो वहीं ग्रामीणों ने आरोप लगाया कि, ग्राम प्रधान और सचिव की मिली भगत से सरकारी धन का जम कर दुरुपयोग किया जा रहा है। मामला कुशीनगर जनपद के पडरौना ब्लॉक अन्तर्गत आने वाले ग्राम पंचायत मईला का है! जहां ग्रामीण मुकेश दुबे ने ग्राम प्रधान और सचिव पर बिना काम कराए ही धन अवमुक्त कराने का आरोप लगाया है! उनका आरोप है कि, ग्राम प्रधान प्रतिनिधि और सचिव के द्वारा ग्राम सभा में बिना काम कराए ही धन अवमुक्त कर आपस में बंटवारा कर लिया गया है।

✓ क्या कहते हैं ग्राम प्रधान?

उक्त प्रकरण में जब ग्राम प्रधान शायरा खातून के प्रतिनिधि से बात हुई तो उन्होंने बताया कि, चुनाव आने वाला है और चुनावी रंजिश में लोग गलत अफवाह फैला कर मुझे बदनाम करना चाहते हैं! ये सभी आरोप बे बुनियाद है, ऐसा कुछ नहीं है सिर्फ मुझे बदनाम करने की एक साजिश है।

ग्राम प्रधान प्रतिनिधि

✓ क्या कहते हैं ग्राम सचिव अरुण गोंड?

तमाम आरोपों पर ग्राम पंचायत मईला में सचिव के पद पर तैनात अरुण गोंड से जब इस बारे में उनका वक्तव्य लेने के लिए फोन किया गया तो उन्होंने कहा कि हम अभी पडरौना में नहीं हैं कल ब्लॉक पर हम मौजूद रहेंगे आप आइएगा जो भी पूछना होगा हम बता देंगे!

लेकिन अगले दिन जब ग्राम सचिव मईला अरुण गोंड के पास फोन किया गया तो उनका फोन नहीं उठा, कई बार फोन करने के बाद भी उनका ना ही फोन उठा और ना ही काफी समय बीत जाने के बाद उनका फोन आया। अब ऐसे में एक सरकारी कर्मचारी का बार बार फोन करने के बाद भी फोन का ना उठाना और ना ही वापस फोन आना उनके कार्यशैली पर बड़ा सवाल खड़ा करता है।

लोगों का कहना है कि ग्राम सचिव एक सरकारी कर्मचारी होता है, और इनके कलम से अगर कहीं गलत हो, तो ये सीधे तौर पर प्रदेश सरकार को खुलकर बदनाम करने की एक साजिश है।

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