अतिक्रमण के चलते चितहा ब्रह्मस्थान का अस्तित्व धूमिल, पानी में डूबा ब्रह्म स्थान।
धनंजय कुमार पाण्डेय, आपकी आवाज़ न्यूज, कुशीनगर
पिपरा बाजार :- चितहा ग्राम सभा के मध्य में प्राचीन ब्रह्मस्थान अत्यधिक वरसात के कारण पानी में डूबने की स्थिति में है। बताया जाता है कि यह गाँव जब से बसा है तबसे यह स्थान इस पेड़ के निचे एक चबूतरे पर स्तिथ था किन्तु आगे चल कर यह चबूतरा जमीन में धंस गया किन्तु गाँव के लोगों द्वारा उस स्थान पर नियमित रूप से पूजा – अर्चना किया जाता रहा। इस गाँव के श्रद्धालुओं द्वारा अपने गाँव के देवी देवताओं के अनेकों मंदिर का निर्माण कराया गया गया है किन्तु यह ब्रह्म का स्थान पर अतिक्रमण होने के कारण कुछ निर्माण नहीं हो पा रहा है। आज यह हालत है कि बरसात में चारों तरफ का गंदा पानी से यह स्थान अक्सर डूब जाता है। गाँव के हर मंदिर पर कीर्तन भजन का कार्यक्रम वर्ष में अनेकों बार होता रहता किन्तु इस ब्रह्मस्थान पर कोई भी कार्यक्रम अतिक्रमण धारी होने ही नहीं देते। जब भी कोई समाजसेवी व्यक्ति यहाँ चबूतरा बनावाने का प्रयास करता तो उसे रोका जाता है। यह स्तिथि देखकर गाँव के लोगों में काफी तनाव है तथा यहाँ जल भराव न हो इसके लिए इस स्थान पर मिट्टी भर कर उच्चा चबूतरे का निर्माण आवश्यक है।
ग्राम प्रधान से इस पेड़ पर चबूतरा बनाने के लिए कहा गया, ग्राम सचिव और लेखपाल के संज्ञान में यह बात पहुंचाई जा चुकी है किन्तु उनकी उदासीनता के कारण यहाँ कोई कार्य अब तक नहीं हो सका है। इस गाँव कि पुरातन और पौराणिक स्थल पर जब तक शासन प्रशासन या जन प्रतिनिधि गण की जागरूकता नहीं बढ़ेगी तब तक इसका संरक्षण और भव्यता का रूप नहीं दिया जा सकता। हमारे हिन्दू जन के आस्था का केंद्र के रूप में हर गाँव में ब्रह्मस्थान पूजीत हैं किन्तु चितहा गाँव में ब्रह्मस्थान उपेक्षित है।